Skip to main content

Dismentaling Globle Hinduism

 हाँ  मैं एक हिन्दू हूँ |   मुझे  अपने हिंदू होने पर  उतना ही गर्व है जितना आपको अपने  मुस्लिम ,  क्रिस्चियन ,या मार्क्ससिस्ट होने पर होता है |  आपके पास यदि वैश्विक  हिंदुत्व (GLOBLE HINDUTVA) को नष्ट करने  का अधिकार हें  तो हमारे पास  हिंदुत्व को बचाने का अधिकार तो होना ही चाहिये 


ग्लोबल हिंदुत्व को इसलिए नष्ट कर दिया जाना चाहिये  क्योकि वह उन सभी धर्मो का आदर करता है  जो हिन्दुओ  से भी द्वेष एवं घृणा करते है | सर्व धर्म समभाव  की अवधारणा, हिंदू द्रोही मानसिकता के गले से नीचे उतरे भी कैसे ?  हिंदुत्व को इसलिये  नष्ट कर दिया जाना चाहिये क्योंकि वह इस्लाम व क्रिश्चियनिटी  की तरह वैश्विक  धर्म परिवर्तन में लिप्त नहीं है |  क्योकि वह इस्लाम तथा कम्युनिस्टों की तरह ,जो  इनके विचारों से असहमत हों , उनके समूल विनाश [Totle Anihilation] की अवधारणा को अस्वीकार करता है | क्योंकि  वह मूर्ति पूजक है , सर्वे भवन्तु  सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया " कि अवधारणा का पोषक है |   वह इस्लाम की तरह यह भी नहीं कहता है कि   यदि आप  मेरे मुहम्मद या  कुरान को नही मानते हो तो आप का सर तन से जुदा  कर दिया जायेगा | वह ईसाइयत की तरह  यह  भी नहीं कहता है कि ईसामसीह ही ईश्वर तक पहुचने का एक मात्र माध्यम है |अथवा कम्युनिस्टों की  तरह कार्ल मार्क्स  की विचार धारा को रामबाण  मान कर अन्धानुकरण भी  नहीं करता है| सायद वे  इसीलिए  वैश्विक हिदुत्व को समूल नष्ट कर  देना चाहते है |     

चीन  जैसी बिस्तारवादी एवं आर्थिक सम्राज्यवादी शक्तियों से प्राप्त चंद चाँदी के सिक्कों के लिए अपने ही देश की अस्मिता से खिलवाड़ करने वाले बामपंथी,  मोदी द्रोह से आगे निकल कर देश द्रोह की सीमाँ  को पार करते दिखाई दे रहे है |यही कारण है कि अक्सर शान्त रहने वाला हिंदू अब उद्देलित होने लगा है | मुसलमानों तथा बामपंथियो को लगता है कि प्राय :अपनी गर्दन झुकाये रखने वाला हिंदू  अब क्यों उद्देलित हो रहा है? वे इस मति भ्रम में है कि इसका कारण सायद मोदी  है  लेकिन वे इस बात से अनजान है कि इसका  कारण भारत के बामपंथी स्वयं है | उनके कुकृत्य व कुत्सित सोच ने जनमानस को बामपंथियों के प्रति घृणा भाव से भर दिया है|

Comments

Popular posts from this blog

                                                                                      किसान आन्दोलन   आपने पूछा बर्तमान किसान आन्दोलन को आप कैसे देखते है ?    किसी व्यक्ति विशेष का दृष्टिकोण  महत्वपूर्ण  नहीं होता हें | महत्व इस बात का हें कि इतिहास इस आन्दोलन को कैसे देखेगा ?   किसानों कि अपनी मागें जायज ठहराई  जा सकती हें  और स्वाभाविक भी हें |  परन्तु इतिहास यदि सही हाथो से लिखा गया तो  इस आन्दोलन को द्रोपदी के चीर हरण या सीता हरण के रूप में ब्य्ख्यायित करेगा || क्योकि 26 जनवरी २०२1 को किसानों द्वारा लाल कीले पर  किया गया ताण्डव नृत्य नितान्त  अशोभनीय  व रुदन के योग्य था | लाल कीले की प्राचीर पर लहराने वाला तिरंगा  जो भारत के गौरव का प्रतीक था पद दलित हुआ ,अपमानित हुआ |यह कार्य उन पराई विद्या के बैलो द्वारा किया गया जो बीरों की खाल ओढ़े हुए थे ,जो जय जवान जय किसान  का नारा देते नहीं थक रहे थे |सच पूछो  तो उस दिन हास्य में हा हा  कार मचा हुआ था | देश का जवान जो मात्रभूमि एवं तिरंगे के लिए जन देता है  |  भूख, प्यास ,धन वैभव घर  परिवार सब कुछ छोड़ कर भी देश व तिरंगे की आबरू बचाता है उसके

असहाय हिंदुत्व

                                                                                                         असहाय हिंदुत्व                  हिंदू और हिंदुत्व  की मनमानी परिभाषायें गढ़ी  जा रही है | स्वदेश मे ही नहीं विदेशों  में भी  हिंदू और                हिंदुत्व को पारिभाषित किया जा रहा है | हिन्दीभाषी भले ही इस परिभाषा से सहमत न हों परन्तु मदरसा एवं           मिशनरी शिक्षा वाले इस  बात पर सहमत है कि हिंदू बुरा नहीं है पर हिंदुत्व बुरा है | मोहतरम  सलमान  खुर्शीद       सहित कांग्रेस  के अनेक नेता  हिंदुत्व को  इतना बुरा समझते है कि वे  ISIS ,बोकोहरम और यहाँ तक कि                तालिबान से भी तुलना करने में नहीं हिचकते हैं |   सवाल यह है कि इस परिभाषा को गड़ने  का श्रोत क्या है ?                 हिंदुत्व  एक युग्मज शब्द है जो हिंदू +तत्व से मिलकर बनता है | जिसका शाब्दिक अर्थ होता है हिंदू                     मान्यताओं का तत्व ,अथवा सार  या सारतत्व |  जिससे यह स्पस्ट हो जाता है कि  यदि हिंदुत्व बुरा है तो हिंदू भी      बुरा है |यदि हिंदू अच्छा है तो हिंदुत्व के बुरा होने का  सवाल ही नहीं