असहाय हिंदुत्व
हिंदू और हिंदुत्व की मनमानी परिभाषायें गढ़ी जा रही है | स्वदेश मे ही नहीं विदेशों में भी हिंदू और हिंदुत्व को पारिभाषित किया जा रहा है | हिन्दीभाषी भले ही इस परिभाषा से सहमत न हों परन्तु मदरसा एवं मिशनरी शिक्षा वाले इस बात पर सहमत है कि हिंदू बुरा नहीं है पर हिंदुत्व बुरा है | मोहतरम सलमान खुर्शीद सहित कांग्रेस के अनेक नेता हिंदुत्व को इतना बुरा समझते है कि वे ISIS ,बोकोहरम और यहाँ तक कि तालिबान से भी तुलना करने में नहीं हिचकते हैं | सवाल यह है कि इस परिभाषा को गड़ने का श्रोत क्या है ?
हिंदुत्व एक युग्मज शब्द है जो हिंदू +तत्व से मिलकर बनता है | जिसका शाब्दिक अर्थ होता है हिंदू मान्यताओं का तत्व ,अथवा सार या सारतत्व | जिससे यह स्पस्ट हो जाता है कि यदि हिंदुत्व बुरा है तो हिंदू भी बुरा है |यदि हिंदू अच्छा है तो हिंदुत्व के बुरा होने का सवाल ही नहीं उठता है | परन्तु इन मदरसा और मिसनरी शिक्षा वालों को हिंदी व्याकरण कोंन पढ़ाये ? यदि मातृत्व शब्द बुरा है तो माँ ,पितृत्व बुरा है तो पिता या भ्रातत्व बुरा है तो भ्राता कैसे अच्छा हो सकता है ? तो क्या यह माना जाय कि मिसनरी तथा मदरसा मानसिकता द्वारा स्वदेसी एवं विदेशी धरती पर चलाया जाने वाला प्रायोजित कार्यक्रम है जो पूर्ण तया हिंदू घृणा से प्रेरित है ?
हाँ यह सच है कि कुछ समय से हिंदू अपने आत्मसम्मान और अतीत के गौरव के प्रति जाग्रत ही नहीं हुआ है अपितु इस्लामिक एवं अंग्रेजी सत्ता के दौरान हिन्दुओं की भावनाओं को जिस क्रूरता के साथ दमन किया गया था, उन दमित भावनाओं की अभिव्यक्ति भी करने लगा है | कांग्रेसी सत्ता के दौरान भी इन दमित भावनाओं पर मलहम लगाने के बजाय उनको हिंदू आतंकवाद ,भगवा आतंकवाद कह कर नमक मिर्च छिड़कने का ही कार्य किया गया |
हिंदुत्व के प्रति घृणा एवं तिरोभाव का कारण यह भी है कि हिंदू अब वह हिंदू नहीं है जब उसके एक गाल पर थप्पड़ मार दो तो वह दूसरी गाल भी दे दे ,हिन्दुओं का एक मंदिर तोड़ दो तो दूसरा भी दे दे ,हिन्दुओं की एक बेटी उठा ले जाओ तो वह दूसरी बेटी को छुपाता फिरे | अब वही हिंदू प्रतिरोध करने के लिए उठ खड़ा हुआ है ,अब वह उतना निरीह एवं असहाय नहीं रहा जितना मिशनरी व मदरसा मानसिकता हिन्दुओं से उम्मीद लगाए बैठी है | सायद यही कारण है कि हिंदुत्व बुरा हो गया है और हिंदू ISIS और बोकोहरम अथवा तालिवानी के सदृश हो गया |
प्रश्न ;----क्या सलमान खुर्शीद उत्तराखंड के मूल निवासी रहे है ? यदि नहीं तो उन्होंने उत्तराखंड में जमींन जायदाद कैसे खरीदी ??
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