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                                                                वेदों की अपौरूषेयता :-


                            आपने पूछा  वेदों को अपौरूषेय क्यों कहा जाता है ?   वेद का तात्पर्य ज्ञान से है जो विद्  धातु से बना है | अत :वेद का शाब्दिक अर्थ है ज्ञान | वेदों को सृष्टि का प्रथम ज्ञान माना जाता है | इसलिए इन्हें आदि ग्रन्थ भी कहा जाता है | आदि ग्रन्थ में ही आदि ज्ञान संभव है |  रामायण आदि ग्रंस्थ  नहीं है , महाभारत भी नहीं है | बाइबल ,  कुरान आदि तो हो ही नहीं सकते हें क्योकि इनके आने से पहले संसार में बहु आयामी ज्ञान उपलब्ध था |

        सृष्टि का आदि ज्ञान देने वाला सामान्य  व्यक्ति नहीं हो सकता है |  निश्चित  ही वह ईश्वरीय गुणों से संपन्न होगा | वह ईश्वर  हो या ना हो सामान्य व्यक्ति से  इतर  कोइ तो था | यदि नहीं था तो वेद आये कहाँ से ?  इस बिस्तृत साहित्य का रचियता कौन था  |?  वेद कल्पना में तो नहीं, वे तो यथार्थ के धरातल पर है |   वेदों के रचियता का कहीं  कोई उल्लेख नहीं मिलता है |जहाँ भारतीय पौराणिक ग्रन्थ ऋग वेद का रचना काल ईसा से 15000 वर्ष पूर्व मानते है वहीं विंटर नित्स जैसे पास्चात्य इतिहासकार वेदों का रचना काल 2000 से 2500 ईसा पूर्व  स्वीकार करते है | इससे पूर्व का इतना  बिसाल साहित्य यदि किसी सभ्यता के पास उपलब्ध हो तो वेदों की अपौरूषेयता पर प्रश्नचिन्ह लग सकता है | अन्यथा वेदों को आदि ग्रन्थ  मानने  एवं रचनाकार की जानकारी न होने तक वेदों को अपौरूषेय मानने मेंआपत्ति नहीं होनी चाहिए 

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Dismentaling Globle Hinduism  हाँ  मैं एक हिन्दू हूँ |   मुझे  अपने हिंदू होने पर  उतना ही गर्व है जितना आपको अपने  मुस्लिम ,  क्रिस्चियन ,या मार्क्ससिस्ट होने पर होता है |  आपके पास यदि वैश्विक  हिंदुत्व (GLOBLE HINDUTVA) को नष्ट करने  का अधिकार हें  तो हमारे पास  हिंदुत्व को बचाने का अधिकार तो होना ही चाहिये  ग्लोबल हिंदुत्व को इसलिए नष्ट कर दिया जाना चाहिये  क्योकि वह उन सभी धर्मो का आदर करता है  जो हिन्दुओ  से भी द्वेष एवं घृणा करते है | सर्व धर्म समभाव  की अवधारणा, हिंदू द्रोही मानसिकता के गले से नीचे उतरे भी कैसे ?  हिंदुत्व को इसलिये  नष्ट कर दिया जाना चाहिये क्योंकि वह इस्लाम व क्रिश्चियनिटी  की तरह वैश्विक  धर्म परिवर्तन में लिप्त नहीं है |  क्योकि वह इस्लाम तथा कम्युनिस्टों की तरह ,जो  इनके वि चारों से असहमत हों , उनके समूल विनाश [Totle Anihilation] की अवधारणा को अस्वीकार करता है | क्योंकि  वह मूर्ति पूजक है , सर्वे भवन्तु  सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया " कि अवधारणा का पोषक है |     वह इस्लाम की तरह यह भी नहीं कहता है कि   यदि आप   मेरे मुहम्मद या   कुरान को नही   मानते हो
                                                                                      किसान आन्दोलन   आपने पूछा बर्तमान किसान आन्दोलन को आप कैसे देखते है ?    किसी व्यक्ति विशेष का दृष्टिकोण  महत्वपूर्ण  नहीं होता हें | महत्व इस बात का हें कि इतिहास इस आन्दोलन को कैसे देखेगा ?   किसानों कि अपनी मागें जायज ठहराई  जा सकती हें  और स्वाभाविक भी हें |  परन्तु इतिहास यदि सही हाथो से लिखा गया तो  इस आन्दोलन को द्रोपदी के चीर हरण या सीता हरण के रूप में ब्य्ख्यायित करेगा || क्योकि 26 जनवरी २०२1 को किसानों द्वारा लाल कीले पर  किया गया ताण्डव नृत्य नितान्त  अशोभनीय  व रुदन के योग्य था | लाल कीले की प्राचीर पर लहराने वाला तिरंगा  जो भारत के गौरव का प्रतीक था पद दलित हुआ ,अपमानित हुआ |यह कार्य उन पराई विद्या के बैलो द्वारा किया गया जो बीरों की खाल ओढ़े हुए थे ,जो जय जवान जय किसान  का नारा देते नहीं थक रहे थे |सच पूछो  तो उस दिन हास्य में हा हा  कार मचा हुआ था | देश का जवान जो मात्रभूमि एवं तिरंगे के लिए जन देता है  |  भूख, प्यास ,धन वैभव घर  परिवार सब कुछ छोड़ कर भी देश व तिरंगे की आबरू बचाता है उसके

असहाय हिंदुत्व

                                                                                                         असहाय हिंदुत्व                  हिंदू और हिंदुत्व  की मनमानी परिभाषायें गढ़ी  जा रही है | स्वदेश मे ही नहीं विदेशों  में भी  हिंदू और                हिंदुत्व को पारिभाषित किया जा रहा है | हिन्दीभाषी भले ही इस परिभाषा से सहमत न हों परन्तु मदरसा एवं           मिशनरी शिक्षा वाले इस  बात पर सहमत है कि हिंदू बुरा नहीं है पर हिंदुत्व बुरा है | मोहतरम  सलमान  खुर्शीद       सहित कांग्रेस  के अनेक नेता  हिंदुत्व को  इतना बुरा समझते है कि वे  ISIS ,बोकोहरम और यहाँ तक कि                तालिबान से भी तुलना करने में नहीं हिचकते हैं |   सवाल यह है कि इस परिभाषा को गड़ने  का श्रोत क्या है ?                 हिंदुत्व  एक युग्मज शब्द है जो हिंदू +तत्व से मिलकर बनता है | जिसका शाब्दिक अर्थ होता है हिंदू                     मान्यताओं का तत्व ,अथवा सार  या सारतत्व |  जिससे यह स्पस्ट हो जाता है कि  यदि हिंदुत्व बुरा है तो हिंदू भी      बुरा है |यदि हिंदू अच्छा है तो हिंदुत्व के बुरा होने का  सवाल ही नहीं